किन्नरों का अंतिम संस्कार रात में किया जाता है, इसमें शव को खड़ा करके ले जाया जाता है।

किन्नरों के अंतिम संस्कार में शव को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है, इसमें शव को जलाने की बजाय दफ़नाया जाता है।

किन्नरों के अंतिम संस्कार में किसी भी आम आदमी को शामिल नहीं होने दिया जाता है।

किन्नरों का मानना है कि अगर किसी किन्नर के अंतिम संस्कार को आम इंसान देख ले, तो मरने वाले का जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा।

किन्नरों के अंतिम संस्कार में शोक नहीं बल्कि जश्न मनाया जाता है। किन्नरों का मानना है कि उनकी योनि अभिशाप है और उन्हें मृत्यु पर खुशी होती है।

किन्नरों का मानना है कि जब किसी किन्नर की मृत्यु होने वाली होती है, तो वे कहीं आना-जाना बंद कर देते हैं और खाना भी बंद कर देते हैं।