Over 1000 applicants failed coding test, 50 लाख रुपये का offer देने के बाद भी लोग भेज रहे हैं, AI generated code, basic knowledge भी नहीं है

Over 1000 applicants failed coding test

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बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप Runable के संस्थापक और सीईओ उमेश कुमार ने हाल ही में एक पोस्ट में भारत की टेक इंडस्ट्री में टैलेंट की कमी को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि एक बैकएंड इंजीनियर की नौकरी के लिए मिले करीब 1,000 आवेदनों में से केवल 5 ही काबिल निकले।

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X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए अपने पोस्ट में उमेश कुमार ने बताया कि आवेदनकर्ताओं द्वारा भेजे गए अधिकतर कोड या तो खराब थे या फिर एआई-जनरेटेड, जो चल ही नहीं रहे थे। उन्होंने लिखा, “हमने एक आसान-सा कोडिंग टास्क दिया था, और जो जवाब मिले वे ज्यादातर बेकार थे। कई कोड तो रन तक नहीं हो पाए।”

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उमेश ने लिखा, “ईमानदारी से कहूं तो हम कोई बहुत ऊंची उम्मीद नहीं कर रहे थे, कम से कम कोड चलने लायक तो होना चाहिए।”

उन्होंने आगे बताया कि यह एक एंट्री-लेवल जॉब नहीं थी, बल्कि तीन साल से अधिक का अनुभव रखने वाले उम्मीदवारों के लिए थी। इस नौकरी में ₹25 से ₹45 लाख तक का सालाना पैकेज, इक्विटी, रिलोकेशन और खाने जैसी सुविधाएं भी शामिल थीं।

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सीईओ के मुताबिक, उनकी कंपनी का हायरिंग प्रोसेस बहुत आसान और तेज़ है: एक बेसिक कोडिंग टास्क, फिर दो शॉर्ट कॉल्स (सीईओ और सीटीओ से), और आखिर में एक पेड वन-डे ट्रायल। उन्होंने कहा, “हम कोई बिग टेक नहीं हैं जो महीनों इंटरव्यू लेकर आख़िर में रिजेक्ट कर दें। हम समय की इज्जत करते हैं।”

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उमेश कुमार ने यह भी सवाल उठाया, “क्या मैं ही अकेला हूं जिसे ये सब झेलना पड़ रहा है, या फिर अब यह हायरिंग का new नॉर्मल बन गया है?”

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उनकी इस पोस्ट पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कई लोगों ने उनकी बात से सहमति जताई। एक यूज़र ने कहा, “आजकल लोग उन नौकरियों के लिए भी अप्लाई कर रहे हैं, जिनके लिए वे बिल्कुल भी फिट नहीं हैं।”

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एक अन्य यूज़र ने लिखा, “सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को ज़रूरत से ज़्यादा ग्लैमराइज़ किया गया है, लोग इसे पैसे कमाने का जरिया समझते हैं, भले ही उन्हें कोडिंग का शौक न हो। इसी कारण से असली टैलेंट ढूंढना मुश्किल होता जा रहा है।”

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