Monsoon to arrive in Kerala on May 27
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रविवार को बताया कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून केरल में 27 मई को दस्तक दे सकता है, जो सामान्य तिथि 1 जून से चार दिन पहले है।
Monsoon to arrive in Kerala on May 27
यदि मॉनसून अनुमानित समय पर केरल पहुंचता है, तो यह 2009 के बाद भारतीय मुख्यभूमि पर सबसे जल्दी आगमन होगा। वर्ष 2009 में मॉनसून 23 मई को आया था।
भारतीय उपमहाद्वीप में मॉनसून की आधिकारिक शुरुआत तब मानी जाती है जब वह केरल पहुंचता है। सामान्यतः यह 1 जून के आसपास होता है। यह मानसून आमतौर पर 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। इसकी वापसी उत्तर-पश्चिम भारत से लगभग 17 सितंबर से शुरू होती है और 15 अक्टूबर तक पूरी हो जाती है।

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पिछले वर्षों में केरल में मॉनसून आगमन की तारीखें इस प्रकार रही हैं:
- 2024: 30 मई
- 2023: 8 जून
- 2022: 29 मई
- 2021: 3 जून
- 2020: 1 जून
- 2019: 8 जून
- 2018: 29 मई
एक IMD अधिकारी ने स्पष्ट किया कि मॉनसून के आगमन की तारीख और पूरे देश में होने वाली वर्षा की मात्रा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता। उन्होंने कहा, “केरल में मॉनसून जल्दी या देर से आने का यह अर्थ नहीं है कि देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसा ही होगा। मॉनसून में बड़े स्तर पर विविधताएं होती हैं, जो वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय कारकों पर निर्भर करती हैं।”

Monsoon to arrive in Kerala on May 27
अप्रैल में IMD ने भविष्यवाणी की थी कि वर्ष 2025 का मॉनसून मौसम सामान्य से अधिक वर्षा वाला रहेगा और अल-नीनो स्थितियों की संभावना को खारिज कर दिया गया था। अल-नीनो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में कम वर्षा से जुड़ा होता है।
Monsoon to arrive in Kerala on May 27
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा था, “भारत में जून से सितंबर के बीच चार महीने के मॉनसून सीजन में देशभर में सामान्य से अधिक वर्षा (लंबी अवधि के औसत 87 सेंटीमीटर का 105 प्रतिशत ± 5 प्रतिशत) की संभावना है।”
IMD के अनुसार:

Monsoon to arrive in Kerala on May 27
- वर्षा अगर 96% से 104% के बीच हो तो उसे ‘सामान्य’ माना जाता है।
- 90% से कम होने पर ‘कम वर्षा’;
- 90% से 95% के बीच ‘सामान्य से कम’;
- 105% से 110% के बीच ‘सामान्य से अधिक’;
- और 110% से ऊपर होने पर ‘अत्यधिक वर्षा’ मानी जाती है।
Monsoon to arrive in Kerala on May 27

भारत की कृषि व्यवस्था के लिए मॉनसून अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो देश की 42.3% आबादी की आजीविका का आधार है और जीडीपी में लगभग 18.2% योगदान देता है। साथ ही, यह पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक जलाशयों को भरने में भी अहम भूमिका निभाता है।